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कोवीशील्ड के ख़तरनाक साइड इफ़ेक्ट संभव, फ़ार्मूला देने वाली कंपनी ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में स्वीकारा

 30 Apr 2024

ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्रोजेनेक ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में माना कि उनकी बनाई कोरोना वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट हो सकते है। इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में अदार पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था, जिसे कोवीशील्ड के नाम से जाना जाता है। महामारी के लगभग 4 साल बाद एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में पहली बार माना है कि कोविड-19 वैक्सीन में हार्ट अटैक्ट, टीटीएस और अन्य बीमारी से जुड़े साइड इफ्फेक्ट हो सकते है। ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट ने एस्ट्रोजेनेक के खिलाफ ब्रिटिश हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। कंपनी पर हाई कोर्ट में 51 केस चल रहे हैं, याचिकाकार्ता ने कंपनी से एक हज़ार करोड़ रूपए का हर्जाना भी माँगा है।


ब्रिटिश नागरिक ने कराया था केस 


 ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने अप्रैल 2021 में यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के दिमाग में इंटरनल ब्लीडिंग भी हुई। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया । इसको लेकर पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से कोई साइड नहीं हो सकते है। लेकिन इस साल फरवरी में हाई कोर्ट में जमा किए कानून दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई और खुद ही मान लिया कि इससे साइड इफेक्ट हो सकते है।

ब्रिटिश स्थिति मेडिसिन हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (एमएचआरए) के मुताबिक ब्रिटेन में 81 मामले ऐसे हैं, जिनमें इस बात की आशंका है कि वैक्सीन की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मौत हो गई। एमएचआरए के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है।


अप्रैल 2021 में वैक्सीन से होने वाली बीमारी की हुई थी पहचान


 ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने सबसे पहले मार्च 2021 में एक नई बीमारी वैक्सीन-इंड्यूस्ड इम्यून थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (वीआईटीटी) की पहचान की थी। इस बीमारी में शरीर में अलग-अलग जगहों पर खून के थक्के बन जाते हैं और रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। पीड़ितों से जुड़े वकील ने दावा किया है कि वीआईटीटी असल में टीटीएस का ही एक रूप है। हालांकि, एस्ट्राजेनेका ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि हम उन लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है या जिन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। मरीजों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी सभी दवाइयों और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पालन करती है।



सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया था निर्माण 

 
भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) ने किया था। मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही सीआईआई ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था। सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी में से एक है। भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई थी। सीआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने बीजेपी को अगस्त 2021 में 50 करोड़ रूपए चुनावी चंदे के रूप में भी दिए थे।